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Title

Ishtopdesh Gatha 33

भेद जानना उपादेय है

गुरूपदेशादभ्यासात् संवित्तेः स्वपरान्तरम् ।

जानाति यः स जानाति, मोक्षसौख्यं निरन्तरम् ॥३३॥

गुरू उपदेश अभ्यास से, निज अनुभव से भेद।

निज-पर को जो अनुभवे, लहै स्वसुख बेखेद ॥३३॥

अर्थः अभ्यास… अभ्यास… मात्र अभ्यास। जो भव्य जीव सच्चे वीतरागी गुरु अथवा स्व-आत्मा के उपदेश के अभ्यास से स्व और पर में यथार्थ भेद जानते हैं; साथ ही उस भेद के वास्तविक ज्ञान के बाद स्व में लीन होने का पुरुषार्थ करते हैं; वे जीव ही कर्मों से भिन्न मोक्ष संबंधी सुख का अनुभव करते हैं।

Series

Ishtopdesh

Category

Paintings

Medium

Acrylic on Canvas

Size

48" x 36"

Orientation

Landscape

Artist

Manoj Sakale

Completion Year

01-May-2023

Gatha

33