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Title

Ishtopdesh Gatha 29

देह से भिन्नता

न मे मृत्युः कुतो भीतिर्न मे व्याधिः कुतो व्यथा ।

नाहं बालो न वृद्धोऽहं न युवैतानि पुद्गले ॥२९॥

मरण रोग मोमैं नहीं, तातें सदा निशंक।

बाल तरूण नहिं वृद्ध हूँ, ये सब पुद्गल अंक ॥२९॥

अर्थः संसार में सबसे बडा एवं अनायास भय मृत्यु का ही है। क्योंकि मृत्यु तो कर्म जनित सत्य है जिसे टालना किसी के हाथ में नही। परन्तु ज्ञानी जन मृत्यु के परमार्थ को जानकर भी आनन्दित होते हैं, परमार्थ से मेरी मृत्यु संभव नही। जब मेरा मरण नही तब मरण के कारणभूत काले नाग आदि से मुझे भय कैसा? मुझे व्याधि नही तब पीडा कैसी? ना मैं बालक, न वृद्ध और न ही युवा, ये सर्व अवस्थायें तो पुद्गल की हैं; मैं तो इनसे भिन्न अजर-अमर तत्त्व हूँ।

Series

Ishtopdesh

Category

Paintings

Medium

Acrylic on Canvas

Size

48" x 36"

Orientation

Landscape

Artist

Manoj Sakale

Completion Year

01-May-2023

Gatha

29