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जिसकी दिव्यज्योति के आगे, फीका पडत़ा सूर्यप्रकाश।
स्वयं ज्ञानमय स्व-पर प्रकाशी, परम शरण मुझको वह आप्त॥१९॥
जिसकी केवलज्ञानमयी दिव्यज्योति के समक्ष सूर्य का प्रकाश भी तेज-हीन दिखाई देता है, जो स्वयं ज्ञानमय है, स्व-पर प्रकाशक है, वह देव ही मुझे परम शरणभूत है। १९
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Shlok