Title
कभी वासना की सरिता का, गहन - सलिल मुझ पर छाया।
पी-पीकर विषयों की मदिरा, मुझमें पागलपन आया॥९॥
कभी विषय-वासनामय इन्द्रिय-विषयों की इच्छारुप नदी का गहरा जल मुझ पर ऐसा चढ़ गया कि मैं अपनी सुध-बुध ही खो बैठा। पंचेन्द्रिय विषय-भोगों रुपी शराब को बारम्बार पीने से मुझमें पागलपन आ गया। मैं हित-अहित का विवेक करने में भी असमर्थ हो गया हूँ। ९
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Shlok