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प्रेम भाव हो सब जीवों से, गुणीजनों में हर्ष प्रभो।
करुणा-स्रोत बहें दुखियों पर, दुर्जन में मध्यस्थ विभो॥१॥
हे भगवान! मेरे मन में सभी जीवों के प्रति प्रेमभाव हो, गुणवान व्यक्तिओं के प्रति हर्ष/प्रसन्नता का, दुःखी जीवों के प्रति दया/करुणा का और विपरीत बुद्धिवाले, वस्तु-स्वभाव को नहीं माननेवाले दुर्जनों के प्रति मध्यस्थता/समता का भाव सतत बना रहे। १
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Shlok