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Title

Gurudev's Vachanamrut Bol no.151

ऐसा उत्तम योग फिर कब मिलेगा? निगोद से निकलकर त्रसपना प्राप्त करना वह चिन्तामणि तुल्य दुर्लभ है, तो फिर मनुष्यपना प्राप्त करना, जैनधर्म का मिलना तो महा दुर्लभ है। धन-सम्पत्ति एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होना वह दुर्लभ नहीं है। ऐसा जो उत्तम योग मिला है वह अधिक काल तक नहीं रहेगा, इसलिये बिजली की चमक में मोती पिरो लेने जैसा है। ऐसा सुयोग फिर कब मिलेगा? इसलिये तू दुनिया के मान-सन्मान एवं धन-सम्पत्ति की महिमा छोडव़र, दुनिया क्या कहेगी उसका लक्ष छोडव़र, एक बार मिथ्यात्व को छोडऩे का जीतोड़ प्रयत्न कर ॥१५१॥

Series

Gurudev Vachanamrut

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

36" x 48"

Orientation

Landscape

Completion Year

31-Dec-2021

Bol

151