Exhibits

Title

Samaysaar - Kalash No. 242

जो धान के छिलकों पर ही मोहित हो रहे हैं, उन्हीं को कूटते रहते हैं, उन्होंने चावलों को जाना ही नहीं है।

इसीप्रकार जो द्रव्यलिंग आदि व्यवहार में मुग्ध हो रहे हैं, (अर्थात जो शरीरादि की क्रिया में ममत्व किया करते हैं,) उन्होंने शुद्धात्मानुभवनरूप परमार्थ को जाना ही नहीं है, अर्थात ऐसे जीव शरीरादि परद्रव्य को ही आत्मा जानते हैं, वे परमार्थ आत्मा के स्वरूप को जानते ही नहीं।

(कलश 242 भावार्थ)

Series

Samaysaar Drashtant Vaibhav

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

36" x 48"

Orientation

Landscape

Completion Year

01-Jul-2018

Shlok

Kalash 242