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Title

Samaysaar - Gatha No. 167

जैसे लोह-चुम्बक-पाषाण के साथ संसर्ग से (लोहे की सुई में) उत्पन्न हुआ भाव लोहे की सुई को (गति करने के लिए) प्रेरित करता है।

उसी प्रकार राग-द्वेष-मोह के साथ मिश्रित होने से (आत्मा में) उत्पन्न हुआ अज्ञानमय भाव ही आत्मा को कर्म करने के लिये प्रेरित करता है।

(गाथा 167 टीका)

Series

Samaysaar Drashtant Vaibhav

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

48" x 36"

Orientation

Portrait

Completion Year

01-Jul-2018

Gatha

167