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Title

Bahenshree's Vachanamrut Bol no. 372

जैसे पाताल कुआँ खोदने पर, पत्थर की आखिरी पर्त टूटकर उसमें छेद हो जाने पर पानी की जो ऊंची पिचकारी उड़ती है, उसे देखने से पाताल के पानी का अंदर का भारी जोर ख्याल में आता है, उसीप्रकार सूक्ष्म उपयोग द्वारा गहराई में चैतन्य तत्त्व के तल तक पहुँच जाने पर, सम्यग्दर्शन प्रगट होने से, जो आंशिक शुद्ध पर्याय फूटती है, उस पर्याय का वेदन करने पर चैतन्य तत्त्व का अंदर का अनन्त ध्रुव सामर्थ्य अनुभव में – स्पष्ट ख्याल में आता है।

Series

Bahenshree Vachanamrut

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

30" x 60"

Orientation

Landscape

Artist

Anil Naik

Completion Year

19-Aug-2017

Bol

372