Title
जैसे कोई राजमहल को पाकर फिर बाहर आये तो खेद होता है, वैसे ही सुखधाम आत्मा को प्राप्त करके बाहर आ जाने पर खेद होता है। शांति और आनंद का स्थान आत्मा ही है, उसमें दुःख एवं मलिनता नहीं है – ऐसी दृष्टि तो ज्ञानी को निरन्तर रहती है।
Series
Category
Medium
Size
Orientation
Artist
Completion Year
Bol