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अहा ! आत्मा अलौकिक चैतन्यचन्द्र है, जिसका अवलोकन करने से मुनियों को वैराग्य उछल पड़ता है। मुनि शीतल – शीतल चैतन्यचंद्र को निहारते हुए अघाते ही नहीं, थकते ही नहीं|
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Bol