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जब बीज बोते हैं तब प्रगट रूप से कुछ नहीं दिखता, तथापि विश्वास है कि “इस बीज में से वृक्ष उगेगा, उसमें से डालें–पत्ते–फलादि आयेंगे”, पश्चात उसका विचार नहीं आता; उसीप्रकार मूल शक्तिरूप द्रव्य को यथार्थ विश्वासपूर्वक ग्रहण करने से निर्मल पर्याय प्रगट होती है; द्रव्य में प्रगट रूप से कुछ दिखाई नहीं देता इसलिये विश्वास बिना “क्या प्रगट होगा” ऐसा लगता है, परन्तु द्रव्य स्वभाव का विश्वास करने से निर्मलता प्रगट होने लगती है |
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Bol