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Title

Amrutchandra Acharya

आचार्य श्री अमृतचन्द्रदेव

       आध्यात्मिक संतों में कुन्दकुन्दाचार्य के बाद यदि किसी का नाम लिया जा सकता है तो वे हैं आचार्यश्री अमृतचन्द्र। दुःख की बात है कि विक्रम की 10 वीं सदी के लगभग होने वाले इन महान आचार्य के बारे में उनके ग्रंथों के अलावा एक तरह से हम कुछ भी नहीं जानते।

       आपका संस्कृत भाषा पर अपूर्व अधिकार था। आपकी गद्य और पद्य- दोनों प्रकार की रचनाओं में आपकी भाषा भावानुवर्तिनी एवं सहज बोधगम्य, माधुर्य गुण से युक्त है। आप आत्मरस में निमग्न रहने वाले महात्मा थे, अतः आपकी रचनायें अध्यात्म-रस से ओतप्रोत है।

       आपके सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में है। आपकी रचनायें गद्य और पद्य दोनों प्रकार की पाई जाती है। गद्य रचनाओं में आचार्य कुन्दकुन्द देव के महान ग्रंथों पर लिखी हुई टीकायें है

समयसार टीका – जो “आत्मख्याति” के नाम से जानी जाती है।

प्रवचनसार टीका- जिसे “तत्त्व-प्रदीपिका” कहते हैं।

पंचास्तिकाय टीका – जिसका नाम “समय व्याख्या“ है।

तत्त्वार्थ सार – यह ग्रंथ गृद्धपिच्छ उमास्वामी के गद्य सूत्रों का एक तरह से पद्यानुवाद है।

पुरुषार्थसिद्धियुपाय -यह गृहस्थ धर्म पर आपका मौलिक ग्रंथ है। इसमें हिंसा और अहिंसा का बहुत ही तथ्यपूर्ण विवेचन किया गया है।

Series

Aacharya

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

36" x 48"

Orientation

Landscape

Artist

Anil Naik

Completion Year

13-Jan-2015