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आत्मा तो ज्ञाता है। आत्मा की ज्ञातृत्वधारा को कोई रोक नहीं सकता। भले रोग आये या उपसर्ग आये, आत्मा तो निरोग और निरुपसर्ग है। उपसर्ग आया तो पांडवों ने अंतरमें लीनता की, तीन ने तो केवलज्ञान प्रगट किया। अटके तो अपने से अटकता है, कोई अटकाता नहीं है।
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Bol