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जिसप्रकार कोई बालक अपनी माता से बिछुड़ गया हो, उससे पूछें कि “ तेरा नाम क्या ?” तो कहता है “ मेरी माँ ”, “ तेरा गाँव कौन ?” तो कहता है “ मेरी माँ ”, “तेरे माता-पिता कौन हैं ?” तो कहता है “ मेरी माँ ”, उसी प्रकार जिसे आत्मा की सच्ची रुचि से ज्ञायक स्वभाव प्राप्त करना है उसे हर एक प्रसंग में “ ज्ञायकस्वभाव....ज्ञायकस्वभाव....” ऐसी लगन बनी ही रहती है, उसी की निरन्तर रुचि एवं भावना रहती है।
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Bol